कंस के पहरे से कृष्ण और बलराम का निकलना
अपनी चहेरी बहन देवकी के आठवें पुत्र द्वारा अपनी मृत्यु की आकाशवाणी से कंस पहले ही भयभीत था। इस पर देवर्षि नारद ने देवताओं द्वारा उसके वध की तैयारी की बात बताया। यह सुनने के बाद कंस ने देवकी और उनके पति वसुदेव को हथकड़ी और बेड़ी से जकड़ कर कारावास में डाल दिया। फिर एक-एक कर उनके छह पुत्रों को जन्म लेते ही मार डाला। जैसे-जैसे आठवें पुत्र के जन्म का समय निकट आता जा रहा था , कंस का भय भी बढ़ता जा रहा था। लेकिन उसके लिए अपशकुन सातवें गर्भ के समय से ही शुरू हो गया था। सातवें गर्भ में भगवान के अंश स्वरूप और उनके अभिन्न भक्त श्री शेष नारायण जी आए थे। पहरा और भी कड़ा हो गया था। लेकिन उनको जन्म से पहले ही भगवान के आदेश से उनकी योगमाया ने देवकी के गर्भ से निकाल कर वसुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। कंस की तरफ से नियुक्त दाई ने इसे गर्भपात बताया , लेकिन अचानक गर्भ समापन ने कंस को आशंका में डाल दिया। इस समय कंस के भय से रोहिणी गोकुल में नन्द जी के यहाँ छुप कर रह रही थी। उनके गर्भ में शेष जी को योगमाया ने स्थापित कर दिया। इस तरह शेष जी कुछ समय देवकी के गर्भ में और शेष समय